मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट

भारत सरकार ने प्रेग्नेंट महिला कर्मचारी के अधिकारों को देखते हुए मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट पूरे भारत में लागू किया हैं।

अक्सर देखा जाता हैं कि महिला कर्मचारी प्रेग्नेंट होने के बावजूद भी अपने ऑफिस में काम कर रही होती हैं। जिसकी वजह से उनके और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर होता हैं। इसी के साथ-साथ डिलीवरी में भी बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।

सन 1961 में मातृत्व लाभ अधिनियम (मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट) लाया गया था जो अब इसी का संशोधित हैं।

11 अगस्त 2016 में इस एक्ट को राज्यसभा और 9 मार्च 2017 में इसे लोकसभा में पारित किया गया था। इसके बाद 27 मार्च 2017 में मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट को राष्ट्रपति से मिल गयी।

उसके बाद 1 अप्रैल 2017 से मातृत्व लाभ अधिनियम/मैटरनिटी बेनिफिट ऐक्ट पूरे भारत में लागू हो चूका हैं।

मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट की पूरी जानकारी

मैटरनिटी बेनिफिट ऐक्ट कामकाज़ी महिलाओं के मातृत्व लाभ और कमाई को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं। क्यूँकि अगर यह एक्ट लागू नहीं होता तो शायद आज हर कामकाजी महिला अपना काम करने पर मजबूर होती। वरना कोई भी कंपनी या आर्गेनाइजेशन का मालिक उसकी जगह किसी और को काम पर रख लेता हैं।

इसीलिए मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट, 1961 पूरे भारत में लागू किया गया। इस एक्ट के अंतर्गत् यदि कोई महिला कर्मचारी प्रेग्नेंट हैं तो महिला जहाँ काम कर रही हैं। वहाँ से 3 महीने की मैटरनिटी लीव ले सकती हैं। जिससे कि वह अपने बच्चे को पूरा टाइम दे सके और मातृत्व लाभ भी उठा सके।

इस एक्ट में सरकार ने और भी बहुत कुछ जोड़ा हैं जैसे कि महिला कर्मचारी जिस कंपनी या आर्गेनाइजेशन  में काम करती हैं।

वहाँ पर 10 से ज्यादा कर्मचारी होने चाहिए वरना महिला कर्मचारी मैटरनिटी लीव के लिए अप्लाई करने के योग्य नहीं होगी। वह आर्गेनाइजेशन या कंपनी ESI स्कीम के अंतर्गत रजिस्टर होनी चाहिए।

मैटरनिटी Benefit Act 1961 कहाँ-कहाँ लागू होता हैं?

मातृत्व लाभ अधिनियम (मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट) ज्यादातर हर कंपनी और आर्गेनाइजेशन में लागू होता हैं। जैसे-

  • हर वह कारखाना वृक्षारोपण से खदान तक फिर चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट।
  • यह एक्ट अब घुड़सवारी, कलाबाजी और अन्य प्रदर्शन में भी लागू होता हैं।
  • हर वह दुकान या कामकाजी जगह जहाँ पर पिछले 12 महीने से किसी 1 दिन भी 10 से ज्यादा कर्मचारी ने काम किया हो तो वहाँ महिला कर्मचारी मैटरनिटी लीव लेने के लिए अप्लाई कर सकती हैं।

मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट, 1961 में क्या-क्या आता हैं?

हर वह महिला जो किसी कंपनी या आर्गेनाइजेशन फिर चाहे वह private हो या सरकारी, मैटरनिटी बेनिफिट लेने के योग्य हैं। और हर कंपनी या आर्गेनाइजेशन महिला कर्मचारी को मैटरनिटी बेनिफिट देने से मना नहीं कर सकती।

यह सरकार ने महिला कर्मचारी के हक में नियम लागू किया हैं।

इस एक्ट के अंतर्गत महिला कर्मचारी को औसतन दैनिक वेतन के आधार पर आधिक से आधिक 12 सप्ताह का वेतन देने का प्रावधान हैं।

मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट के नियम

  • यदि कोई महिला गर्भवती हैं। तो वह डिलीवरी से पहले या डिलीवरी के बाद आधिक से आधिक 12 सप्ताह तक की मैटरनिटी लीव ले सकती हैं। लेकिन महिला कर्मचारी प्रसव तिथि के 6 हफ्ते पहले मैटरनिटी लीव के लिए अप्लाई नहीं कर सकती।
  • पहले मैटरनल बेनिफिट ऐक्ट 1989 में जब संशोधन नहीं हुआ था। तो कर्मचारी महिला को केवल 6 हफ्ते की मैटरनिटी लीव लेने की सीमा तय की गयी थी। जो की संशोधन के बाद 12 सप्ताह कर दी गयी और अब सरकार फिर से संशोधन करके 26 हफ्ते का करने का सोच रही हैं।
  • हर वह महिला जो किसी कंपनी या आर्गेनाइजेशन में पिछले 80 दिन से काम कर रही हैं। फिर चाहे वह ठेके पर ही क्यों न हो, वह मैटरनिटी लीव लेने के योग्य हैं।
  • कंपनी या आर्गेनाइजेशन मैटरनिटी लीव देने के समय महिला कर्मचारी द्वारा पिछले 12 महीने में जितनी भी छुट्टियाँ ली गयी हैं। उनको गिनकर मैटरनिटी लीव दे सकती हैं।
  • मैटरनिटी बेनिफिट के अंतर्गत कोई भी स्पेशल वेतन संबंधी कोई बात या नियम नहीं बनाया गया हैं।

मैटरनिटी लीव के लिए कब अप्लाई कर सकते हैं?

कोई भी कर्मचारी महिला डिलीवरी डेट 6 हफ्ते के अंदर-अंदर मैटरनिटी लीव के लिए अप्लाई कर सकती हैं। लेकिन 6 हफ्ते के पहले बिलकुल नहीं कर सकती।

महिला कर्मचारी को मैटरनिटी लीव के लिए अप्लाई करते समय कंपनी को यह सुनिक्षित करना होगा कि वह लीव के समय पर कहीं और काम नहीं करेगी। बाकि सब जानकारी भी देनी होगी।

पितृत्व अवकाश क्या हैं?

जैसे एक महिला को माँ बनने पर मैटरनिटी लीव देने का प्रावधान हैं। ऐसे ही अब पिता को बच्चे की देखभाल करने के लिए पितृत्व अवकाश दिए जाने लगे हैं।

वैसे तो प्राइवेट सेक्टर में पितृत्व अवकाश देने का कोई प्रावधान अब तक नहीं लागू हुआ हैं। लेकिन सरकारी नौकरी में पिता के लिए यह नियम लागू हो चुके हैं।

आमतौर पर यह पत्नी की डिलीवरी से 15 दिन पहले से डिलीवरी के 6 महीने तक कभी भी ली जा सकती हैं।

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं कि बेनिफिट ऑफ़ मैटरनिटी एक्ट, 1961 से जुडी हर जानकारी आपको को मिल गयी होगी। लेकिन फिर भी यदि आप और जानकारी लेना चाहते हैं तो निचे दिए गए फॉर्म को सही जानकारी के साथ भरे।

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