कॉर्पोरेट वकील

आजकल बिज़नेस बड़ा हो या छोटा, हर व्यवसाय मालिक कॉर्पोरेट वकील से सलाह लेना पसंद करता हैं। जिससे कि वह नुकसान झेलने से बच सके।

कॉर्पोरेट वकील किसी भी कंपनी या आर्गनाइजेशन के शुरू होने से लेकर उसके हर पड़ाव पर कानूनी कार्रवाई से सबंधी काम करता हैं।

कॉर्पोरेट वकील किसी भी व्यवसाय की तरक्की में बहुत अहम भूमिका निभाता हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि कॉर्पोरेट लॉ होता क्या हैं? इसकी क्या विशेषताएं होती हैं? यह किसलिए इतना जरुरी होता हैं?

यदि आप यह जानने में उत्सुकता रखते हैं तो यह पूरा लेख ध्यान से पढ़े।

कॉर्पोरेट लॉ क्या होता हैं?

कॉर्पोरेट लॉ के अंतर्गत कुछ मुख्य व्यवसाय से जुड़े कानून और नियम आते हैं। जिनके मध्यम से बड़ी-बड़ी कंपनी और आर्गेनाइजेशन चलती हैं।

कॉर्पोरेट लॉ बिज़नेस को नियंत्रण और संचालित करता हैं। कंपनी में हर डील और हर काम चाहे वह बड़ा हो या छोटे स्तर पर, कॉर्पोरेट लॉ को ध्यान में रखकर ही किया जाता हैं।

इस लॉ में कंपनी से जुड़ा हर व्यक्ति और हर प्रबधन आता हैं।

कॉर्पोरेट लॉ की प्रमुख विशेषताएं

कॉर्पोरेट लॉ मुख्य रूप से 5 विशेषताओं पर चलता हैं।

1. कानूनी व्यक्तित्व

कंपनी या बिज़नेस के मालिक अपने रिसोर्सेज को अलग ही ग्रुप में रखते हैं। यह ग्रुप किसी भी प्रॉपर्टी को बेचने में या खरीदने में काम आती हैं।

यदि कोई लेनदार सम्पन्ति वापस लेना चाहता हैं। तो यह बिलकुल भी मुमकिन नहीं हैं। इसके बजाय वह अपना ग्रुप अलग से बना सकते हैं। जिसको वो अपनी मर्जी से चला सकते हैं।

2. सीमित liability

जब किसी कंपनी पर मुकदमा होता हैं। तो दूसरी कंपनी को यह अधिकार बिलकुल नहीं मिलता कि वह उसकी पर्सनल प्रॉपर्टी पर जाए।

लेकिन यदि सीमित समय में डील नहीं हो पाती हैं। वह मालिक को इनके माध्यम से निवेश करने की सलाह जरुर दे सकता हैं।

3. ट्रांसफ़रेबल शेयर

यदि किसी बिज़नेस में 2 पार्टनर हैं और एक पार्टनर हिस्सेदारी जारी नहीं रखना चाहता तो कंपनी बंद करने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं होगी।

कॉर्पोरेट लॉ के अनुसार एक पार्टनर के शेयर को बिना किसी कठिनाई या बाधा के ट्रान्सफर कर सकता हैं।

4. प्रत्यायोजित प्रबंधन

हर कंपनी के पास उसके अपने आधिकारी का पूरा एक ग्रुप होता हैं। जो हर डिस्कशन में कंपनी के फायदे के लिए कुछ अहम फैसले लेते हैं। यही बोर्ड के सदस्य दुसरे एम्प्लाइज की रिक्रूटमेंट पर पुष्टि करते हैं।

5. इन्वेस्टर ओनरशिप

बिज़नेस के हित में कोई निर्णय लेने के लिए कॉर्पोरेट वकील रखे जाते हैं। लेकिन उनको सीधे निर्णय लेने और उसको लागू करने का हक नहीं होता हैं।

वह अपने निर्णय मालिक को बताता हैं फिर मालिक ही उन निर्णय में से कोई एक चुनता हैं और कंपनी पर लागू होता हैं। इन लोगो के पास मुनाफे में हिस्सेदारी लेने का भी अधिकार नहीं होता हैं।

निष्कर्ष

कॉर्पोरेट लॉ आजकल काफी चलन में हैं जिसकी वजह से कॉर्पोरेट वकील भी काफी मांग में हैं।

यदि आप भी कॉर्पोरेट सेक्टर में दिलचस्पी रखते हैं। तो हमारे दिए गए फॉर्म को फिल करे और इससे जुडी और जानकारी इकट्ठी करे।